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बस एक कोशिश और जीत पक्की (आपकी कोशिश आपकी जीत) ; One Try To Win:
आपकी कोशिश आपकी जीत सुनने में कितना अच्छा लगता है ना और लगेगा भी क्यों नही जितना तो हर कोई चाहता है । लेकिन कोशिश करना कोई नही चाहता। जीत हर किसी को चाहिए लेकिन जैसे ही बात मेहनत की आती है तो लोगो के पास एक नही हजारो बहाने मिल जाते है ।
सब के पास कुछ अलग करने का अपना सपना होता है लेकिन जैसे ही उस सपने को पूरा करने के लिए मेहनत का जिक्र होता है सब पिछे हट जाते है, हजारो बहाने मिल जाते है उस काम को ना करने के जिसमे सबसे कॉमन है " अरे भाई हमे घर के जिम्मेदारियो से टाइम ही कहा मिलता है जो कुछ करे " लेकिन कब तक ऐसे बहाने बनाते रहोगे यार, बस एक बहाना इस बनाओ जो आपको कहे कि इस काम को सिर्फ और सिर्फ तुम कर सकते हो और उसे करने की कोशिश करो। ऐसे एक नही लाखो उदाहरण है जो इसी 24 घंटे में जीरो से हीरो बन गए उनके किये लिए कोई अलग से टाइम बनाया नही गया था या उनके पास कोई सुपर पावर नही था बस उनमे जुनून था, जज्बा था उनही 24 घंटों में कुछ अलग करने का, उसने पास हज़ार बहाने नही थे उसे न करने के बस एक बहाना था उसे कर दिखाने का और उन्होंने कर के दिखाया भी ।
आप भी कर सकते हो आपके अंदर भी वो capacity है आप भी कर सकते हो और सिर्फ आप ही कर सकते हो लेकिन आप करना चाहोगे तब तो, बस आपकी एक कोशिश करनी है अरे क्या होगा आप एक बार मे सफल नही हुए तो उसे दुबारा try करो, आपने घरो में जलने वाली लाइट तो देखी होगी , उस बल्ब को बनाने में 1000 बार असफलता मिलने के बाद भी थॉमस एडिसन ने उसे कम्पलीट किया क्योंकि उनको बिलीव था खुद पे की वो उसे कर सकते है बस वही बिलीव आपको खुद के अंदर लाना है। आपकी एक कोशिश आपको लोगो से अलग बना सकती लेकिन आप वो कोशीश करोगे तब ना। आप पहले ही हार मान लोगे की मैं नही कर सकता या मेरे पास टाइम नही है तो पता कैसे चलेगा कि आप कर सकते हो या नही।
आपको पता नही है कि इसे कैसे करे कोई बात नही यूट्यूब से सिख लो, नॉलेज नही है कोइ बात नही बुक्स पढ़ो, आजकल तो आप हर चीज घर बैठे सिख सकते हो आप अपने अंदर उसे करने की इच्छा तो लाओ। चलिए आज मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं, एक बार एक जगह घोड़े की रेस होनी थी और आस पास के सभी गावँ को बोल दिया गया कि हर गांव से एक घोड़ा रेस में हिसा लेना जरूरी था लेकिन उनमें एक गाव ऐसा भी था जहाँ किसी को घोड़ा चलाना ही नही आता था और रेस में हिस्सा लेना भी जरूरी था और टाइम भी कम था तो गावँ के एक लड़के ने बोला कि मैं घुड़सवारी करूँगा तो सब टेंशन में आगये इसे तो कुछ आता भी नही ये कैसे कर सकता है लेकिन दूसरा कोई ऑप्शन भी नही था तो सभी ने उसे आज्ञा दे दी रेस में हिस्सा लेने के लिए और बाहर से एक ट्रेनर को बुलाया गया उस लड़के ने 3 महीने की ट्रेनिंग मात्र 6 दिनों में कम्पलीट किया और रेस में पहुंच गया सभी किसी को भी उम्मीद नही थी कि हमारा घोड़ा जितेग लेकिन सिर्फ उस लड़के को खुद पर बिलीव था कि वो जरूर जीतेगा और उसने रेस जीत भी क्योंकि उसे बिलीव था कि सिर्फ और सिर्फ वही इस काम को कर सकता है। अगर सब गांव वाले कि तरह वो भी हार मान लेता तो क्या उसका गांव जीतता ?
इस कहानी को सुनाने से मेरा बस एक ही मतलब था कि आप खुद पे बिलीव करे आप कर सकते है बस आप ही कर सकते है और देखना बस इस बिलीव के दम पर आप भी एक दिन कुछ अलग कर दिखाओगे
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